अगर आप कंप्यूटर की संरचना और कंप्यूटर के प्रकार को समझना चाहते है, तो हमारा ये आर्टिकल आपकी पूरी मदद करेगा। इस आर्टिकल में हमने कंप्यूटर की संरचना (STRUCTURE OF COMPUTER ),इनपुट (INPUT),आउटपुट (OUTPUT), प्रोसेसर (Processor), मैमोरी (Memory), प्रोग्राम (Program) और कंप्यूटर के प्रकार (TYPES OF COMPUTER) के बारे में बताया है इसलिए इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े। अगर आपने इस सीरीज की हमारी कंप्यूटर क्या है? और कंप्यूटर कैसे काम करता है ? आर्टिकल को नहीं पढ़ा तो उसे जरूर पढ़े।
Table of Contents
कंप्यूटर की संरचना (Structure of Computer )
जैसा की हम जानते है की कंप्यूटर का हमारे जीवन में क्या महत्व है, और कंप्यूटर हमारे जीवन में क्या स्थान रखता है। आज का कोई भी मनुष्य ऐसा नहीं होगा जो की कंप्यूटर से प्रभावित न हो और जिसके जीवन में कंप्यूटर कोई न कोई योगदान न हो। इसी लिए हमे कंप्यूटर की संरचना के बारे में तो पता होना ही चाहिए क्योकि आज कल यह बेसिक नॉलेज सबको पता होनी चाहिए। हमारे इस आर्टिकल के जरिये हम जानेंगे की कंप्यूटर की संरचना क्या होती है।
कोई भी कंप्यूटर कुछ भागों से मिलकर बनता है ,जो भिन्न भिन्न प्रकार के कार्य करते है। कंप्यूटर चाहे छोटा हो बड़ा , चाहे वह नया हो या पुराना , उसके पांच मुख्य भाग होते है – इनपुट , आउटपुट , प्रोसेसर , मैमोरी तथा प्रोग्राम। इन सब के बारे में आपको आगे विस्तार में बताया गया है।
इनपुट (Input)
इनपुट किसी कंप्यूटर का वह भाग है जिसके द्वारा हम अपना डाटा या आदेश या प्रोग्राम कंप्यूटर को देता है। इनपुट इकाई में कई मशीन या साधन (Devices) हो सकते है। जिनसे अलग अलग तरह का इनपुट( डाटा या आदेश) कंप्यूटर को दिया जा सकता है। इनपुट का सबसे अच्छा साधन है -की -बोर्ड़ (Keyboard) . यह अंग्रेजी के सामान्य टाइपराइटर के की- बोर्ड की तरह ही होता है, हलाकि इसमें कुछ ज्यादा बटन होते है। हम इसमें लगे बटनों को दबा-दबाकर अपना डाटा तैयार कर सकते है और कंप्यूटर में भेज सकते है।
की-बोर्ड के अलावा माउस (Mouse) , जॉय-स्टिक (Joystick) , लाइट पेन (Light Pen ) , माइक (Mike) , स्कैनर (Scanner) आदि भी इनपुट के साधन है।
आउटपुट (Output)
आउटपुट कंप्यूटर के उस भाग को कहा जाता है , जिसमे हमे अपने आदेश या प्रोग्राम का परिणाम या उत्तर प्राप्त होता है। आउटपुट में कई मशीने या साधन हो सकते है , जिनसे हमे अलग अलग तरह का आउटपुट मिलता है। आउटपुट का सबसे ज्यादा सरल और हर जगह पाया जाने वाला साधन है – वी.डी.यू. (Visual Display Unit) या मॉनिटर (Monitor) . यह किसी टेलीविजन जैसा ही होता है। जिसके पर्दे (Screen) पर चिन्ह या सूचनाए दिखाई जाती है। सूचनाओं या रिपोर्टो को छापने के लिए के कई प्रकार के प्रिंटर (Printer) तथा प्लॉटर (Plotter) होते है। इनके अलावा स्पीकर (Speaker) भी आउटपुट का एक साधन है।
वी.डी.यू. तथा की -बोर्ड को मिलकर एक ऐसा साधन बनता है, जिससे हम इनपुट और आउटपुट दोनों का काम ले सकते है। इसे टर्मिनल (Terminal) कहा जाता है। इनपुट- आउटपुट के लिए टर्मिनल से ज्यादा सरल और अच्छा साधन दूसरा कोई नहीं है। दुनिया भर में लगभग हर कंप्यूटर में टर्मिनल अवश्य होता है।
प्रोसेसर (Processor)
कंप्यूटर में जो भी कार्य किये जाते है, उन्हें करने वाले अंगो को भाग या मशीन कहा जाता है। दलअसल प्रोसेसर ही असल कंप्यूटर है। वास्तव में कंप्यूटर का मुख्य भाग ही प्रोसेसर है क्यूकि कंप्यूटरके बाकी भाग उसकी सहायता करते है। प्रोसेसर ही कंप्यूटर का दिमाग है। इसका काम है – किसी व्यक्ति (या उपयोगकर्ता ) द्वारा दिए गए आदेशों को समझ कर उसका ठीक ठीक पालन करना। जोड़ना, घटाना आदि गणितीय क्रियाए करना, दो संख्याओं की तुलना (Comparison) करना तथा किसी विशेष बात शर्त (Condition) की जांच करना, ये सभी कार्य प्रोसेसर द्वारा ही किए जाते है।
प्रोसेसर को प्राय: सेंट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit) या सी.पी.यू. (C. P. U) कहा जाता है। इसके तीन भाग होते है- मैमोरी, कंट्रोल, मैमोरी कंप्यूटर की भीतरी मैमोरी (Internal Memory) है। इसमें किसी भी समय किये जा रहे काम संबंधित डाटा आवश्यक समय के लिए रखा। यह मेमोरी वैसे तो प्रोसेसर का है, परन्तु इसका बहुत महत्व है। ए.एल.यू.(Arithmetic Logic Unit) में सभी तरह की गणनाएं और तुलनाए की जाती है। कंट्रोल (Control) इकाई का काम होता है – हमारे आदेशों को संखकर उनका सही सही पालन कराना तथा कंप्यूटर के सभी भागों पर नजर रखना और उन्हें नियत्रित करना।
छोटे कंप्यूटर्स , जैसे माइक्रो कंप्यूटर ,पी.सी आदि में प्रोसेसर या सी.पी.यू को माइक्रो प्रोसेसर कहा जाता है। कोई माइक्रो प्रोसेसर अपने आप में एक पूरा कंप्यूटर होता है, जिसमे सभी प्रकार के कार्यो के लिए एलिक्ट्रॉनिक सर्किट बने होते है। आजकल कई सारी कम्पनी के माइक्रो प्रोसेसर लोकप्रिय है। साथ ही साथ इनकी मांग भी दिन प्रति दिन बढ़ती जा रही है।
मैमोरी (Memory)
जिस प्रकार हम अपनी स्मृति (Memory) में बहुत सी बातें याद रखते है। उसी तरह कंप्यूटर के जिस भाग में सभी डाटा, प्रोग्राम आदि रखे जाते है, उसे कंप्यूटर की मैमोरी कहते है। हालाकि मनुष्य के दिमाग और कंप्यूटर की मैमोरी में बहुत अंतर होता है ।
कंप्यूटर की मैमोरी लाखों छोटे छोटे खानों में बंटी हुई होती है। ऐसे हर खाने को एक लोकेशन या बाइट कहा जाता है। जिस प्रकार मकानों पर नंबर पड़े होते है। उसी प्रकार मेमोरी की Bytes पर क्रम संख्याए पड़ी हुए मानी जाती है। किसी बाइट की क्रम संख्या को उस बाइट का पता (Address ) कहा जाता है।
हर बाइट आठ छोटी छोटी Bits की एक श्रंखला (Series) होती है। मैमोरी का सबसे छोटा हिस्सा (या टुकड़ा) बिट (Bit) कहा जाता है। बिट को आप एक छोटा ब्लब मान सकते है। जिस प्रकार कोई ब्लब या तो जल रहा होता है या बुझा होता है , उसी प्रकार बिट या तो ऑन (On) होती है या ऑफ (Off). इस प्रकार किसी बिट की दो स्थितियां हो सकती है -ऑन या ऑफ़। इनके अलावा कोई तीसरी स्थिति नहीं हो सकती। सुविधा के लिए हम ऑन बिट को 1 लिखते है तथा ऑफ़ बिट को 0 लिखते है।
कंप्यूटर में भरा जाने वाला सभी प्रकार का डाटा 1 और 0 के रूप में ही कंप्यूटर की मैमोरी में रखा जाता है और उसी रूप में उस पर सारा काम किया जाता है। काम करने के इस तरीके को बाइनरी सिस्टम (Binary System) कहा जाता है। कंप्यूटर का सारा काम बाइनरी में ही चलता है।
किसी कंप्यूटर की मैमोरी का आकार (Size) बाइटो की संख्या में नपा जाता है। कंप्यूटर की मैमोरी जितनी बड़ी होती है , वह उतना ही तेज और शक्तिशाली (Poweful) मन जाता है। 1024 बाइटो को किलोबाइट (Kilobyte या K ) कहते है। 1024 किलोबीट्स को 1 मेगाबाइट (Megabyte या MB ) कहा जाता है। 1024 MB को 1 गीगाबाइट (Gigabyte या GB) कहते है। कंप्यूटर की मैमोरी प्राय: मेगाबाइट या गीगाबाइट में नापी जाती है।
कंप्यूटर की मैमोरी दो प्रकार की होती है:
भीतरी (Internal) या मुख्य (Main) मैमोरी
बाहरी (External) या सहायक (Auxiliary) मैमोरी
भीतरी या मुख्य मैमोरी कंप्यूटर की सी.पी.यू. का ही एक भाग होती है। किसी साधारण माइक्रो कंप्यूटर या पी.सी. की मुख्य मैमोरी का आकार (उदहारण के लिए ) 16 मेगाबाइट से 512 मेगाबाइट तक होता है।
बाहरी या सहायक मैमोरी डाटा को लम्बे समय के लिए स्थायी रूप से स्टोर (Store) करने के लिए होती है। यह कम्प्यूटर की सी.पी.यू. से बाहर होती है। यह चुमब्कीय टेप (Magnetic tape) , हार्ड डिस्क (Hard Disk० , फ्लॉपी (Floppy) आदि से बनी होती है। इसका आकार सैकड़ो- हजारों मेगाबाइटस और गीगाबाइटस में हो सकता है।
मुख्य मैमोरी को भी दो भागों में बांटा जाता है – रैम (RAM) और रॉम (ROM) . रैम का पूरा नाम Random Access Memory है , जिसका अर्थ है कि इस मैमोरी को हम अपनी इच्छा से कैसे भी प्रयोग कर सकते है। वास्तव में इसमें ऐसे डाटा और प्रोग्रामों को रखा जाता है, जिन्हे थोड़े समय तक रखना हो। यह डाटा तक वही बना रहता है , जब तक उसकी जगह पर कोई दूसरा डाटा नहीं रख दिया जाता या कंप्यूटर बंद नहीं कर दिया जाता। कंप्यूटर बंद (Off ) कर देने पर रैम में रखा हुआ सारा डाटा गायब हो जाता है।
रॉम का पूरा रूप है – Read Only Memory जिसका मतलब है कि इस भाग में रखे डाटा को हम केवल पढ़ सकते है। वास्तव में इस भाग मे कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी द्वारा ऐसी सूचनाए डाटा और प्रोग्राम रखे जाते है, जिनकी हमे ज्यादातर और रोज जरुरत पड़ती है। रॉम में रखें हुए डाटा को न तो हम हटा सकते है और न उसमे कोई सुधार कर सकते है। कंप्यूटर की बिजली बंद हो जाने पर भी रॉम में रखा हुआ डाटा सुरक्षित बना रहता है।
प्रोग्राम (Program)
आदेशों के किसी समूह (Group) को प्रोग्राम कहा जाता है। ये आदेश इस प्रकार लिखे जाते है कि यदि कोई व्यक्ति उनका सही सही पालन करता जाए , तो कोई भी काम पूरा हो जाए , कंप्यूटर जो सैंकड़ो तरह के काम करता है , वे वास्तव में प्रोग्रामों के द्वारा ही करवाए जाते है। हर काम के लिए एक अलग प्रोग्राम लिखा जाता है। प्रोग्रामों से ही कंप्यूटर को ताकत मिलती है। प्रोग्रामों के बिना कंप्यूटर केवल कुछ पुर्जो का ढेर है। बिना प्रोग्राम के कंप्यूटर कोई काम नहीं कर सकता है।
कंप्यूटर के प्रकार (Types of Computer)
आकार और सुविधाओं के आधार पर कंप्यूटर मुख्य रूप से तीन प्रकार के होते है –
- मेनफ्रेम कंप्यूटर (Mainframe Computer)
- मिनी कंप्यूटर (Mini Computer)
- माइक्रो कंप्यूटर (Micro Computer)
मेनफ़्रेम या मुख्य कंप्यूटर आकार में बहुत बड़े और काफी जगह घेरने वाले होते है। इनमें सैंकड़ो टर्मिनल जुड़े होते है। उन पर एक साथ सैंकड़ो लोग काम कर सकते है। इनकी कीमत भी बहुत ज्यादा होती है। इस कारण बड़ी बड़ी कम्पनियाँ ही उन्हें खरीद सकती है। आजकल ऐसे कम्प्यूटर्स की संख्या बहुत कम रह गई है। मिनी कंप्यूटर आकार में मुख्य कम्प्यूटर्स से छोटे होते है , परन्तु उनकी ताकत मुख्य कंप्यूटर से बहुत कम नहीं होती है। वास्तव में मिनी कंप्यूटर ऐसी कम्पनियाँ के लिए बनाए गए है, जिनके पास कंप्यूटर का काफ़ी काम होता है , परन्तु वे मुख्य कंप्यूटर नहीं खरीद सकती है। मिनी कंप्यूटर का मूल्य कम्पनियो की पहुंच के भीतर होता है। इन पर एक साथ 10 से 12 व्यक्ति काम कर सकते है। ये एक छोटे कमरे में आ जाते है। मिनी कंप्यूटर ऐसा हर कार्य कर सकते है, जो मुख्य कम्प्यूटर्स पर किया जा सकता है। आजकल मिनी कम्प्यूटर्स की संख्या बहुत बढ़ गए है। 1980 के बाद के वर्षो में ऐसी तकनीकें आई है , जिनसे कंप्यूटर का आकार और भी छोटा हो गया है तथा उनकी गति बढ़ गई है। इससे माइक्रो कंप्यूटर जैसी सामान्य कंप्यूटर आये, इनकी कीमत मिनी कम्प्यूटर्स के मुकाबले में बहुत कम होती है और आकार में ते इतने छोटे होते है कि एक छोटी सी मेज पर आसानी से आ जाते है। इन पर एक बार में केवल एक ही आदमी काम कर सकता है। माइक्रो कंप्यूटर का ही दूसरा रूप पर्सनल कंप्यूटर है। जिसे संक्षेप में PC कहा जाता हैं। सबसे पहले इन्हे I.B.P. कम्पनी के द्वारा बनाया गया था। इन तीन तरह के कम्प्यूटर्स के अलावा नए कम्प्यूटर्स में सुपर कंप्यूटर भी है। ये गति में बहुत तेज होते है। ये अकेले ही कई मुख्य कम्प्यूटर्स के बराबर होते है।
निष्कर्ष (CONCLUSION)
हमने हमारे इस कंप्यूटर की संरचना और कंप्यूटर के प्रकार आर्टिकल के जरिये आपको कंप्यूटर की संरचना के और उससे जुड़े सभी चीजों को डिटेल में समझाने की कोशिस की है । हमारे आर्टिकल का मुख्य लक्ष्य ही यही होता है की आपको सम्पूर्ण जानकारी देना। अगर आपके मन में हमारे इस आर्टिकल से जुड़ा कोई भी प्रश्न या सुझाव है तो हमे कमेंट के जरिये आप जरूर बताये।
Source: Besttopten, Wikipedia
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